यूपी रेरा की बड़ी कारवाई : 131 परियोजनाओं के पंजीकरण पर लगाई रोक, गौतमबुद्धनगर के सबसे अधिक प्रोजेक्ट शामिल
उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने प्रदेश के 131 प्रोजेक्टो की सूची जारी की है। जिनकी ना जमीन का पता है और ना नक्शे का रिकॉर्ड है। इनमें से गौतमबुद्धनगर जिले के 23 प्रोजेक्ट हैं। जबकि एनसीआर के प्रोजेक्टों की संख्या सबसे अधिक है।
उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने प्रदेश के 131 प्रोजेक्टो की सूची जारी की है। जिनकी ना जमीन का पता है और ना नक्शे का रिकॉर्ड है। इनमें से गौतमबुद्धनगर जिले के 23 प्रोजेक्ट हैं। जबकि एनसीआर के प्रोजेक्टों की संख्या सबसे अधिक है। हालांकि इस मामले को लेकर यूपी रेरा ने कई बार नोटिस जारी कर बिल्डरों से जवाब भी मांगा था, लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया। हालांकि अब इस सूची यूपी रेरा अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड की है। ताकि खरीदारों को प्रोजेक्ट की जानकारी मिल सके और वह वहां निवेश करने से बच पाए
बिल्डर के प्रोजेक्ट का पंजीकरण अनिवार्य
बता दें यूपी रेरा ने साल 2017 में प्रदेश के सभी बिल्डर प्रोजेक्टों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया था। पंजीकरण यूपी रेरा के पोर्टल पर जाकर किया गया। तब बड़ी संख्या में प्रोजेक्टों का पंजीकरण कराया गया, लेकिन काफी तादाद में बिल्डरों ने प्रोजेक्टों के सभी दस्तावेज को अपलोड नहीं किया था। वहीं पंजीकरण होने के बाद यूपी रेरा ने इसकी जांच की। जबकि जांच के बाद सभी बिल्डरों को नोटिस जारी कर बाकी दस्तावेज भी अपलोड करने के लिए कहा गया।
बिल्डरों ने रेरा के आदेश की अनदेखी
बता दें इस दौरान काफी बिल्डरों ने रेरा के आदेश की अनदेखी की थी। इसके बाद यूपी रेरा ने प्रदेश के 400 प्रोजेक्टों को चिन्हित किया है। यूपी रेरा ने इन प्रोजेक्ट को चार श्रेणी में बांटा है। इनमें से प्रथम श्रेणी में उन प्रोजेक्टों को शामिल किया गया है। जिनके जमीन और नक्शे की जानकारी यूपी रेरा के पास नहीं है। हालांकि बीते 27 अगस्त को यूपी रेरा ने ऐसे 131 प्रोजेक्टों की सूची जारी की है। इनमें गौतमबुद्धनगर जिले के अलावा गाजियाबाद के 14, आगरा के 8, एवं मेरठ के 6 प्रोजेक्ट शामिल है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात की जाए यहां की 29 एवं वाराणसी के 15 प्रोजेक्ट शामिल हैं।
तीन अन्य श्रेणी की जांच शुरू
इनके अलावा गोरखपुर, बरेली, बाराबंकी, प्रयागराज के प्रोजेक्ट शामिल हैं। बता दें जिन प्रोजेक्ट की जमीन है, लेकिन उन प्रोजेक्ट का नक्शा नहीं है, उनको तीसरी श्रेणी में रखा गया है। हालांकि अगर चौथी श्रेणी की बात की जाए तो इसमें उन प्रोजेक्टों को शामिल किया गया है। जिनमें बिल्डरों से वेबसाइट पर अपडेट करने का समय मांगा हैं। वहीं फिलहाल तीन अन्य श्रेणियों की भी जांच शुरू कर दी गई है।
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