लोकसभा चुनाव 2024 के रूझानों में अगली सरकार की तस्वीर साफ़ : नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर टिकी नजर 

लोकसभा चुनाव 2024 के रूझानों ने देश की अगली सरकार की तस्वीर साफ़ हो गई है। जहां रूझानों में लगभग एनडीए की सरकार बननी लगभग तय हो गई है। अब केंद्र की सत्ता की चाबी बीजेपी के हाथ में नहीं रह गई है। इस चुनाव में दो बड़े नेता काफी ताकतवर होकर उभरे रहे हैं।

Jun 4, 2024 - 14:36
Jun 4, 2024 - 14:37
लोकसभा चुनाव 2024 के रूझानों में अगली सरकार की तस्वीर साफ़ : नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर टिकी नजर 

लोकसभा चुनाव 2024 के रूझानों ने देश की अगली सरकार की तस्वीर साफ़ हो गई है। जहां रूझानों में लगभग एनडीए की सरकार बननी लगभग तय हो गई है। दरअसल अब केंद्र की सत्ता की चाबी बीजेपी के बड़े नेता पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के हाथ में नहीं रह गई है। वहीं इस चुनाव में दो बड़े नेता काफी ताकतवर होकर उभरे रहे हैं। हालांकि इसमें पहले बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के नेता नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू है। वहीं अब दोनों ही नेताओं को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। 

इनका इतिहास काफी उतार चढ़ाव वाला

बता दें कि दोनों ही बड़े नेता और उनकी पार्टी इस वक्त एनडीए के साथ हैं। लेकिन इनका इतिहास काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है। दरअसल एक तरफ जहां बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी बड़ी जीत हासिल करने की ओर बढ़ रही है। जदयू ने राज्य में 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और उसमें से वह लगभग 14 पर आगे चल रही है। हालांकि बिहार में अगर बीजेपी की बात की जाए तो जहां बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव जीतने वाली केवल 12 सीटों पर आगे है। 

टीडीपी 16 सीटों पर आगे

वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में 25 सीटों में से एनडीए 22 पर आगे चल रही है। हालांकि इसमें से 16 पर अकेले टीडीपी है। यह टीडीपी वही पार्टी है जिसके नेता चंद्रबाबू नायडू 2019 के चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन की अगुवाई कर रहे थे। हालांकि इससे पहले चंद्रबाबू नायडू अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में एनडीए के हिस्सा रह चुके हैं। लेकिन चुनाव के नतीजे आने के बाद ऐसा बोला जा रहा है कि हो सकता है कि दोनों बड़े नेता पाला बदल सकते हैं। 

नीतीश कुमार राजनीतिक के बड़े खिलाड़ी हुए साबित

वहीं ये दोनों ऐसे नेता हैं जो कई भाजपा के मौजूदा नेतृत्व के साथ सहज नहीं रहे हैं। लेकिन, कहा तो यह भी जा सकता है कि राजनीतिक मजबूरी में ये एनडीए के साथ आए थे। अब जबकि बीजेपी कमजोर होती दिख रही है तो ऐसे में ये दोनों अपने लिए अवसर की तलाश कर सकते हैं। इनके पास मोलभाव करने की बड़ी ताकत आ गई है। जो कहते थे कि बिहार में बार-बार पलटी मारने वाले नीतीश के लिए यह वजूद बचाने की लड़ाई थी लेकिन रूझानों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नीतीश एक बड़े राजनीतिक खिलाड़ी हैं।

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