नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर को भ्रष्टाचार के आरोप में SC से मिली बड़ी राहत, यादव सिंह को मिली अग्रिम जमानत
SC ने भ्रष्टाचार के आरोपी नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को बड़ी राहत दी। इस मामले में जस्टिस हृषिकेश रॉय ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर कर ली है। इससे पहले मई में भी सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह को राहत दी थी। यादव सिंह ने दिसंबर 2011 में आठ दिनों में 954 करोड़ रुपये के 1,280 मेंटेनांस कॉन्ट्रैक्ट को कथित रूप से पूरा किया था।
नोएडा प्राधिकरण से जुड़ी एक बड़ी ख़बर सामने आई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। जहां SC ने भ्रष्टाचार के आरोपी नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को बड़ी राहत दी। वहीं यादव सिंह पर भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। हालांकि इस मामले में जस्टिस हृषिकेश रॉय ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर कर ली है। इससे पहले मई में भी सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह को राहत दी थी। यादव सिंह ने दिसंबर 2011 में आठ दिनों में 954 करोड़ रुपये के 1,280 मेंटेनांस कॉन्ट्रैक्ट को कथित रूप से पूरा किया था। इसके बाद उनके खिलाफ जांच शुरू हो गई थी।
1 अक्टूबर, 2019 को यादव सिंह को मिली थी ज़मानत
बता दें इस मामले में जस्टिस हृषिकेश रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यादव सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल की दलीलों को सुनी थी , जिसमें उनके द्वारा कहा गया था कि केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा मामले में उनके खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर करने के बाद आरोपी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया था।
गौरतलब है कि वरिष्ठ वकील एनके कौल ने इस मामले में दलील देते हुए बोले कि शीर्ष अदालत ने मामले में तीन साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत दी थी, हालांकि अब उन्हें ताजा पूरक आरोप पत्र दायर होने के मद्देनजर फिर से गिरफ्तारी की आशंका है। जबकि जस्टिस हृषिकेश रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा पीठ ने सिंह की जमानत के लिए नई याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए कहा, याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि शीर्ष अदालत ने 1 अक्टूबर, 2019 को यादव सिंह को ज़मानत दी थी। लेकिन एक बार फ़िर उनके उपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रहीं थी, जहां सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दिया है।
सबूतों और गवाहों से जा सकती है छेड़छाड़
बता दें 2019 में उन्हें जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था, दोनों पक्षों के वकीलों की बात सुनने के बाद, हम याचिकाकर्ता को निचली अदालत द्वारा लगाए जाने वाले नियमों और शर्तों के अधीन ज़मानत पर रिहा करना उचित समझते हैं। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आशंका है कि अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, इसलिए प्रतिवादी के लिए ज़मानत रद्द करने के लिए आवेदन करना खुला रहेगा।
यादव सिंह की संपत्ति आय से थी अधिक
दरअसल 25 अक्टूबर 2019 को शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज एक अलग और परिणामी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यादव सिंह को जमानत दे दी थी। वहीं 2015 में ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के इंजीनियर-इन-चीफ सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए थे। जबकि इससे पहले, आयकर विभाग ने कहा था कि नवंबर 2014 में छापेमारी के बाद पता चला था कि यादव सिंह की संपत्ति उनकी आय से बहुत अधिक थी, जिसके बाद उन्हें तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया था। हालांकि फिलहाल उन्हें कोर्ट से राहत मिल गई है।
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