1 जुलाई से देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बदला : जानिए नए कानून में क्या अहम बदलाव हुआ? बदल गई इस अपराध की धारा

1 जुलाई से देश में आपराधिक कानून में बड़े बदलाव किया गया है। वहीं नए कानून के अंतर्गत क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बदल गया है। नया कानून लागू होने के साथ ही अब इसमें एफआईआर भी दर्ज होने लगी है। इसरे साथ ही जानिए अहम बदलाव के बारे में

Jul 1, 2024 - 10:09
1 जुलाई से देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बदला : जानिए नए कानून में क्या अहम बदलाव हुआ? बदल गई इस अपराध की धारा
1 जुलाई से आपराधिक कानून में हूआ बदलाव

1 जुलाई से देश में आपराधिक कानून में बड़े बदलाव किया गया है। वहीं नए कानून के अंतर्गत क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बदल गया है। इसके साथ ही अंग्रेजो के द्वारा लगाई गई घिसी पिटी कानून से भी आजादी मिल गई। हालांकि इसे पारित तो पिछले साल ही कर दिया गया था। लेकिन अब ये आज से यानी कि 1 जुलाई से पूरे देश में लागू हो गया है। वहीं नया कानून लागू होने के साथ ही अब इसमें एफआईआर भी दर्ज होने लगी है। दरअसल मिली जानकारी के अनुसार नए कानून के अंतर्गत दिल्ली के कमला नगर थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई है। बता दें तीन नए कानून इंडियन पीनल कोड में जुड़ जाएगा। इसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम तीन नए आपराधिक कानून, जबकि भारतीय न्याय संहिता कानून अब आईपीसी की जगह लेगा। दरअसल ये तीनों बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था।

82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया

बता दें नए कानून में दुष्कर्म की धारा 375 और 376 की जगह अब बलात्कार की धारा 63 होगी। जबकि सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, वहीं हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी। दरअसल नए कानून में भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें एक अपराध मॉब लिंचिंग भी शामिल है। इस नए कानून में मॉब लिंचिंग पर एक कानून बनाया गया है। हालांकि 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। इसके साथ ही 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है। आपको बताते चलें कुछ अहम बदलाव के बारे में जो हर किसी को जानना जरूरी है। इसमें महिलाओं से जुड़े कानून में अहम बदलाव किया गया है। वहीं इस नए कानून के लागू होने के बाद से ही समय की भी बचत होगी। जहां पहले किसी भी मामले सालों तक अपराधी को सजा नहीं सुनाई जाती थी। लेकिन अब एक तय समय में सजा का प्रावधान भी किया गया है। 

जानिए नए कानून में 10 अहम बदलाव

1. बता दें नए कानून के अनुसार, आपराधिक मामलों में सुनवाई खत्म होने के 45 दिनों के अंदर फैसला आएगा। हालांकि किसी भी आपराधिक मामलें में पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय किए जाएंगे। इस नए कानून में सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा। 

2. वही नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया भाग जोड़ा गया है। इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान भी रखा गया है।

3. दरअसल दुष्कर्म पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी के तरफ से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की सामने में दर्ज किए जाएंगे। वहीं इसमें एक बात का और ध्यान रखा गया है कि पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए। 

4. हालांकि इस नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल किया गया है, जिसके अंतर्गत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है।वहीं अब ऐसा करने पर भी सजा का प्रावधान रखा गया है। 

5. दरअसल नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। 

6. इसके साथ ही नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा। यहां तक सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में फ्री इलाज करना जरूरी होगा।

7. यहां तक कि नए कानून में आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के  अंदर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान एवं अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है।

8. वही इसके साथ ही इस नए कानून के लागू होने से इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकती है, जिससे अब किसी भी मामले रिपोर्टें दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत खत्म हो गई है। इसके साथ ही व्यक्ति FIR को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी किसी भी थाना में दर्ज करा सकता है। 

9. वही अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा। 

10.  बता दें लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो देश में समानता को बढ़ावा देता है। जबकि महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित का बयान महिला मजिस्ट्रेट की तरफ से ही दर्ज किए जाने का भी प्रावधान है।

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