नोएडा की रहने वाली वर्धा ने UPSC में हासिल किया 18वीं रैंक पिता के मौत के बाद भी नहीं टूटे हौसले
भारत के सबसे कठिन परीक्षा में से एक यूपीएससी की परीक्षा जो हर उस छात्र का सपना होता है जो सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में जुटे होते हैं। हालांकि इस बार का यूपीएससी का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। और अगर नंबर 1 रेंक की बात की जाए तो इस बार के यूपीएससी में टॉप आदित्य श्रीवास्तव ने किया है। जो लखनऊ के रहने वाले हैं। वहीं बात की जाए यूपीएससी में 18 वीं रेंक लाने वाली वर्धा की तो वो नोएडा की रहने वाली हैं।
भारत के सबसे कठिन परीक्षा में से एक यूपीएससी की परीक्षा जो हर उस छात्र का यूपीएससी सपना होता है जो सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में जुटे होते हैं। हालांकि इस बार का का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। और अगर नंबर 1 रेंक की बात की जाए तो इस बार के यूपीएससी में टॉप आदित्य श्रीवास्तव ने किया है। जो लखनऊ के रहने वाले हैं।
वहीं बात की जाए यूपीएससी में 18 वीं रेंक लाने वाली वर्धा की तो वो नोएडा की रहने वाली हैं। बता दें कि वर्धा के परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं इनके परिवार में पहली हैं जिन्होंने UPSC क्लियर किया है।
गौरतलब है कि, अगर वर्धा के बारे में बात की जाए तो वो मूलरूप से प्रयागराज की रहने वाली है। हालांकि वर्धा नोएडा के सेक्टर 82 स्तिथ विवेक विहार सोसायटी में रहती है। 16 को UPSC का परिणाम आया जिसमें वर्धा खान की 18वी रैक आई है। इससे वर्धा का परिवार बेहद खुश है। इनके घर पर बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है। वर्धा शुरू से ही पढ़ने में काफी अच्छी थी। ये वर्धा का दूसरा प्रयास था।
इस दौरान वर्धा ने मीडिया से बात की। जिस बातचीत में उन्होंने बताया कि 2022 में पहली बार जब उन्होंने UPSC का एग्जाम दिया था। उनका प्री भी नही निकल पाया था। और उसके बाद ही अपने कमियों को पहचान वर्धा ने दुबारा तैयारी शुरू की थी।
पिता के मौत के बाद परिवार चलाने के लिए की नौकरी
वर्धा के अनुसार उनकी शुरुवाती पढ़ाई प्रयागराज से हुई है। वहीं उनके जीवन में कठिन समय तब आया जब साल 2015 में उनके पिता की मौत हो गई थी जिसके बाद वर्धा अपनी मां के साथ नोएडा शिफ्ट हो गई। 10वीं के बाद वर्धा ने कॉमर्स लिया था। हालांकि 12वीं के बाद ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। वहीं वर्धा की मां अफसर जहां केंद्रीय विद्यालय शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि पिता के मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्तिथि सुधारने के लिए वर्धा ने कॉरपोरेट नौकरी ज्वाइन की लेकिन सिविल सर्विस के तैयारी के लिए वर्धा ने नौकरी छोड़ दी और फिर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी।
7-8 घंटे करती थी पढ़ाई
वर्धा ने बातचीत के दौरान बताया की वो रोजाना 7-8 घंटे पढ़ाई करती थी। 2022 में पहले प्रयास के बाद ही उन्हें समझ आ गया था की आगे उन्हें किस तरह तैयारी करनी है। वर्धा ने सोशल मीडिया के जरिए भी पुराने टॉपर्स के नोट्स पढ़ के तैयारी की। वर्धा ने आगे बताया की वो सोशल मीडिया का अच्छा इस्तेमाल करती थी। और कई डाउट उनके सोशल मीडिया से क्लियर हुए। उनका कहना है कि वो रोजाना अखबार पढ़ती थी ताकि करेंट अफेयर्स ठीक हो सके। वही आगे वर्धा ने कहा की परिवार ने खूब सहयोग किया जिस वजह से आज वो सफल हो पाई है। वर्धा के जीवन से ये सीख तो मिलती है। हौसले में दम हो तो पंख को उड़ान मिल जाते हैं। जहां लोग आज मूलभूत सुविधाएं मिल पाने के बाबजूद कुछ नहीं कर पाते हैं। लेकिन इन्होंने छोटी छोटी परशानियों को भूल कर ही आज ये मुकाम हासिल किया है।
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