राहुल गांधी रायबरेली से लड़ेंगे चुनाव, अमेठी से केएल शर्मा पर कांग्रेस ने दिखाया भरोसा, जाने राहुल ने क्यों छोड़ा अमेठी
रायबरेली लोकसभा सीट सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है। गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश के रायबरेली और अमेठी सीट को लेकर पिछले काफी कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर काफी सस्पेंस बना हुआ था। वही अब रायबरेली लोकसभा सीट सबसे हॉट सीटों में से एक हो गई है। पहले से ही सीट पर कई उम्मीदवारों के नाम पर कयास लगाए जा रहे थे। जबसे सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा है। उसके बाद से ही रायबरेली लोकसभा सीट पर कई प्रकार के दावे किए जा रहे थे। हालांकि दावा तो यह भी किया जा रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। लेकिन गांधी परिवार की सहमति के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर राहुल गांधी की उम्मीदवारी तय कर दी है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी अब रायबरेली से अपनी राजनीति को आगे बढ़ते दिख सकते हैं। वहीं यूपी में अगर इस समय कांग्रेस की स्थिति की कि बात की जाए तो पिछले वर्षों में काफी खराब हुई है। असल में 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल एक सीट रायबरेली से ही जीत दर्ज कर पाने में कामयाब रही थी। अब राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के इस मजबूत गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। हालांकि राहुल गांधी की राह आसान नहीं होने वाली है। क्योंकि राहुल गांधी 2019 के चुनाव में अमेठी से हार गए थे।
2004 से चुनावी मैदान में हैं राहुल गांधी
दरअसल 2004 से चुनावी राजनीति में उतरे राहुल गांधी ने सबसे अधिक चार बार अमेठी लोकसभा सीट से चुनावी ताल ठोक हैं। वहीं केरल की वायनाड लोकसभा सीट से वह दो बार उम्मीदवार रहे हैं। अमेठी लोकसभा सीट से 2004, 2009 और 2014 में राहुल गांधी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। जबकि 2019 में उन्हें बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि 2019 अमेठी से राहुल को पहले ही मामला फंसता हुआ दिखा था जिसके बाद राहुल ने केरल की वायनाड सीट का रुख किया था। वहां से उन्हें जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव 2024 में भी वायनाड से वे चुनावी मैदान में हैं। हालांकि इस बार इस सीट पर राहुल को माकपा से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस राहुल के लिए रायबरेली को सुरक्षित सीट मान रही है। हो सकता है इस समीकरण को देखते हुए भी राहुल ने रायबरेली को चुना होगा।
2019 में अमेठी से राहुल की हुई थी हार
बता दें राहुल गांधी ने इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर दक्षिण भारत पर काफी फोकस किया है। पिछले कुछ समय में उनके कई बयान सामने आए। वहीं यूपी को लेकर वह अधिक सक्रिय नहीं दिखे थे। दरअसल अमेठी छोड़ने के पीछे का कारण भी यही माना जा रहा है। इसके साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में वायनाड सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी ने वायनाड को अपना घर बताया था। इसको लेकर अमेठी में स्मृति ईरानी ने एक अलग प्रकार का माहौल बनाने की कोशिश की है। वहीं स्मृति ईरानी अमेठी में अपना घर बनवा चुकी हैं और उन्होंने पिछले दिनों गृह प्रवेश भी किया था। अमेठी को वह घर बताती रही हैं। ऐसे में अगर राहुल फिर से अमेठी लोकसभा सीट से उतरते तो उन्हें स्मृति की कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता था।
कौन हैं केएल शर्मा
हालांकि अब काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने अमेठी से किशोर लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। जिनके बारे में बताया जा रहा है कि वो गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। दरअसल मूलत पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। शर्मा ने 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में कदम रखा था। बाद में राजीव गांधी के अचानक निधन के बाद गांधी परिवार से उनके रिश्ते पारिवारिक हो गए और वो गांधी परिवार के ही होकर रह गए। अब गांधी परिवार ने अमेठी को लेकर शर्मा पर भरोसा दिखाया है। लेकिन अमेठी में इनकी राह आसान नहीं होगी। क्योंकि इनके सामने स्मृति ईरानी होगी।
रायबरेली सीट 1952 से गांधी परिवार के पास
वहीं रायबरेली लोकसभा सीट 1952 के चुनाव के बाद से सबसे अधिक बार गांधी परिवार के पास रही है। वहीं राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी यहां से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने जीत भी हासिल की थी। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ-साथ दो बार यहां से अरुण नेहरू भी सांसद रह चुके हैं। ऐसे में गांधी परिवार की विरासत वाली सीट पर राहुल गांधी को उतारने का निर्णय लिया गया। देखने वाली बात होगी कि क्या राहुल गांधी परिवार की इस सीट को बचा पाते हैं या नहीं।
राहुल को बीजेपी से मिलेगी कड़ी टक्कर
बतातें चले कि रायबरेली लोकसभा सीट पर इस बार राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह का सामना करना पड़ेगा। दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी थी। 2019 के चुनाव में सोनिया गांधी 5,34,918 वोट हासिल करने में कामयाब रही थीं। वहीं बीजेपी से दिनेश प्रताप सिंह 3,67,740 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। सोनिया 1,67,178 वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थीं। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी लहर था तब भी सोनिया गांधी ने इस सीट से बड़ी जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव 2024 में भी पार्टी को कुछ इसी प्रकार के रिजल्ट की उम्मीद है। सोनिया गांधी को 2014 के चुनाव में 5,26,434 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के अक्षय अग्रवाल 1,73,721 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। इस प्रकार सोनिया 3,52,713 वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रही थीं। अगर यूपी चुनाव 2022 की बात को जाए तो पहली बार कांग्रेस को रायबरेली सीट पर झटका लगा। रायबरेली सदर से अदिति सिंह भाजपा का यहां से खाता खोलने में कामयाब रहीं। ऐसे में इस बार राहुल गांधी को रायबरेली सीट पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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