यमुना एक्सप्रेसवे पर लोगों के पैदल चलने पर है बैन : फिर भी हो रहे हादसे, जाने 2012 से अब तक कितने लोगों की गई जान
यमुना एक्सप्रेसवे पर लोगों के पैदल चलने पर बैन होने के बावजूद पिछले कुछ वर्ष में लोगों की मौत की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। दरअसल सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, 41 प्रतिशत लोगों की मौत सिर्फ 2023 में ही हुई।
यमुना एक्सप्रेसवे पर लोगों के पैदल चलने पर बैन होने के बावजूद पिछले कुछ वर्ष में लोगों की मौत की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। दरअसल सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, 41 प्रतिशत लोगों की मौत सिर्फ 2023 में ही हुई। हालांकि साल 2012 में इस 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद से पैदल चलने वाले कुल 39 लोगों की मौत हुई। बता दें इस एक्सप्रेसवे को 2012 में ही खोला गया था। वहीं, 16 लोगों की मौत सिर्फ 2023 में हुई, जो अब तक एक वर्ष में होने वाली मौत में सबसे ज्यादा है। जिससे प्रशासन की लापरवाही भी साफ़ तौर पर दिख रही है।
पैदल चलने पर है बैन
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं सड़क सुरक्षा से जुड़े कार्यकर्ता किशन चंद जैन ने आरटीआई अधिनियम के तहत यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) से पैदल यात्रियों से जुड़ी हादसे और हादसे में हुए मौतों,एवं घायल होने वाले लोगों का वर्षवार विवरण मांगा था। वहीं आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार , जेपी इंफ्राटेक के द्वारा बनाई गई यमुना एक्सप्रेसवे एक एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे है, जहां पैदल चलने या इसे पार करने की बिल्कुल प्रतिबंधित है। लेकिन इसके बाद भी साल 2012 से वर्ष 2023 तक एक्सप्रेसवे पर पैदल चलने वाले लोगों से संबंधित दुर्घटनाओं की संख्या 103 थी, वहीं इस दौरान मरने वालों की संख्या 39 थी, जबकि घायलों की बात की जाए तो उसकी संख्या 41 बताई गई है।
प्रशासन और वाईईआईडीए की गंभीर चूक
बता दें सुप्रिम कोर्ट के अधिवक्ता के अनुसार यमुना एक्सप्रेसवे पर पैदल चलने वाले लोगों से जुड़ी दुर्घटनाएं और मौतें के पीछे पुलिस प्रशासन और वाईईआईडीए की गंभीर चूक को उजागर करती है। हालांकि उन्होंने आगे कहा कि एक्सप्रेसवे पर पैदल चलने वाले लोगों को जाने से सख्ती से रोकने की फिलहाल आवश्यकता है। वहीं दुर्घटना के जो आधिकारिक आंकड़े सामने आए हैं। वो आकड़े काफी डराने वाले हैं, जबकि उस आकड़ों के मुताबिक साल 2012 से साल 2023 के बीच यमुना एक्सप्रेसवे पर कुल 7,625 सड़क दुर्घटनाएं हुईं है, जिसमें 1,320 लोगों की मौत हुई। हालांकि 11,168 लोग घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि अगर प्रशासन के द्वारा पैदल चलने वाले लोगों पर रोक नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में ये आंकड़े काफी डरावने हो सकते हैं।
2012 से 2023 तक हुए हादसे
गौरतलब है कि 2012 से लेकर अब हादसे की जो आकड़े सामने आए है उसके अनुसार, 2012 में तीन, 2013 में 10, 2014, 2015 और 2016 में आठ-आठ, 2017 में 13, 2018 में 11, 2019 में दो, 2020 में चार, 2021 में पांच, 2022 में आठ और 2023 में 23 दुर्घटनाएं हुईं। लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार , साल 2013, 2014 और 2015 में तीन-तीन, 2016 में दो, 2017 में एक, 2018, 2019 और 2020 में दो-दो, 2021 में एक, 2022 में चार और 2023 में 16 लोगों ने इस एक्सप्रेसवे पर पैदल चलते हुए अपनी जान गंवाई। इसके अनुसार, 2012 में दो, 2013 में तीन, 2014 में छह, 2015 में तीन, 2016 में दो, 2017 में तीन, 2018, 2019 और 2020 में दो-दो, 2021 में एक, 2022 में चार और 2023 में नौ लोग हादसों में घायल हुए हैं।
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