लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद एक्शन में मायावती : कई नेताओं को दिखाया बाहर का रास्ता, जिलाध्यक्ष भी बदले
लोकसभा चुनावों में इस बार मायावती की पार्टी बीएसपी को करारा झटका लगा है। यहां तक कि इस बार बसपा ने दस साल पुराना इतिहास फिर से दोहराया है। बसपा के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती अब एक्शन लेने के मूड में आ गई हैं।
लोकसभा चुनावों में इस बार मायावती की पार्टी बीएसपी को करारा झटका लगा है। यहां तक कि इस बार बसपा ने दस साल पुराना इतिहास फिर से दोहराया है। जहां साल 2014 की तरह इस बार भी बीएससी का खाता नहीं खुल पाया। वहीं यूपी में इक्का-दुक्का सीट को छोड़कर ज्यादातर सीटों पर मायावती की पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई है।
दरअसल बसपा के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती अब एक्शन लेने के मूड में आ गई हैं। उन्होंने कौशांबी सीट पर चुनाव लड़ने वाले बीएसपी प्रत्याशी शुभ नारायण गौतम समेत कई बड़े पदाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन सभी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बीएसपी से निष्कासित किया गया है।
चुनाव में नहीं रहा अच्छा प्रदर्शन
बता दें जिन्हें मायावती ने बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वो शुभ नारायण गौतम यूपी पुलिस के रिटायर्ड डिप्टी एसपी हैं। हालांकि पुलिस डिपार्टमेंट से रिटायर्ड होने के बाद शुभ नारायण गौतम बीएसपी में शामिल हो गए वही इस बार मायावती ने उन्हें कौशांबी सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया था।
गौरतलब है कि चुनाव में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। बता दें बीएसपी उम्मीदवार शुभ नारायण गौतम केवल पचपन हजार वोटों पर सिमट गए और उनकी जमानत जब्त हो गई। एक वक़्त था जब बसपा का कौशांबी गढ़ कहा जाता था। यहां तक की ये सीट बीएसपी की रिजर्व सीट मानी जाती थी। लेकिन इस बार के लोकसभा में अब तक का यह सबसे खराब प्रदर्शन था। पार्टी मुखिया मायावती को यह प्रदर्शन बेहद नागवार गुजरा। उन्होंने इस बारे में पार्टी पदाधिकारियो से रिपोर्ट मांग कर सभी गैरजिम्मेदार नेताओं के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया है।
पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का है आरोप
हालांकि मायावती ने चुनाव नतीजे आने के पांचवें दिन ही कौशांबी सीट से बीएसपी के प्रत्याशी शुभ नारायण गौतम को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया है। शुभ नारायण गौतम टिकट पर आरोप है कि वो टिकट मिलने के बाद चुनाव में सक्रिय नहीं रहे और यहां तक कि आरोप तो यह भी है कि उन्होंने ठीक से चुनाव प्रचार नहीं किया। जिसका नतीजा पार्टी को भुगतना पड़ा, उनके निष्क्रिय रहने और ठीक से चुनाव प्रचार नहीं करने का खामियाजा बसपा को हार के रूप में उठाना पड़ा। हालांकि माना तो यह भी जा रहा है कि आने वाले समय में मायावती पार्टी के अन्य गैरजिम्मेदार नेताओं पर एक्शन ले सकती है।
प्रयागराज के जिलाध्यक्ष को मायावती ने बदला
गौरतलब है कि शुभ नारायण गौतम के साथ ही पार्टी के प्रयागराज और मिर्जापुर मंडल के प्रभारी और बसपा के वरिष्ठ नेता डॉ. अशोक गौतम को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया दिया है। इनको निष्कासित करने के पीछे माना जा रहा है कि अशोक गौतम की पैरवी की वजह से ही शुभ नारायण कौशांबी से उम्मीदवार बनाए गए थे। अशोक गौतम के बारे में बोला जा रहा है कि टिकट दिलाने के बावजूद पार्टी उम्मीदवार को चुनाव में सक्रिय नहीं कर सकते थे।
बसपा सुप्रीमों मायावती के निर्देश पर मंडल प्रभारी राजू गौतम और अमरेंद्र भारती ने पार्टी प्रत्याशी शुभ नारायण गौतम और वरिष्ठ नेता डॉ अशोक गौतम के निष्कासन की सूचना जारी की है। इन नेताओं को निष्कासित किए जाने के अलावा बसपा ने प्रयागराज के जिलाध्यक्ष को भी बदल दिया है। बीएसपी ने प्रयागराज में आरबी त्यागी को हटाकर पंकज गौतम को नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है।
अन्य नेताओं को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता
इस एक्शन के बाद बीएसपी सूत्रों की माने तो जल्द ही कई अन्य उम्मीदवारों और नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, और पदाधिकारियों को हटाकर दूसरे कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि इसके पीछे सबसे बड़ा सवाल यह है कि पार्टी की हार के लिए मायावती के फैसले जिम्मेदार हैं या फिर पार्टी के उम्मीदवार एवं पदाधिकारी। सवाल तो यह भी उठ रहा है कि कहीं उम्मीदवारों और पदाधिकारियों को बलि का बकरा तो नहीं बनाया जा रहा है। हालांकि देखने वाली बात होगी कि आगे और किस नेता पर गाज गिरता है।
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