हाई कोर्ट से मनीष सिसोदिया को नहीं मिली ज़मानत, कोर्ट ने सबूत से छेड़छाड़ होने किया दावा 

दिल्ली शराब नीति में घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है।

May 22, 2024 - 11:31
हाई कोर्ट से मनीष सिसोदिया को नहीं मिली ज़मानत, कोर्ट ने सबूत से छेड़छाड़ होने किया दावा 

दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। दरअसल कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता के खिलाफ अपना केस मजबूती से रखने में अभियोजन को सफल और सिसोदिया को असफल माना है। हालांकि इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम से जुड़े कानून के अंतर्गत अपराध के आरोपी हैं। वहीं कोर्ट को कथित घोटाले में उनका आचरण लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ नजर आया। हाईकोर्ट को दिल्ली सरकार और आप में आरोपी नेता का प्रभाव दिखा और केस के सबूतों को नष्ट करने की आशंका में बल नजर आया। बता दें कोर्ट ने आप नेता की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें बीमार पत्नी से रोजाना मुलाकात की मिली छूट को कायम रखा है।

कोर्ट ने सबूत नष्ट किए जाने भी का किया दावा 

बता दें हाई कोर्ट के जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने अपना फैसला सुनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के सेक्शन धारा 3 के अंतर्गत पहली नजर में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया है। वहीं जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने आगे बोला कि मनीष सिसोदिया का आचरण लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ बड़ा विश्वासघात है। जबकि इस दौरान कोर्ट के द्वारा कुछ गंभीर आरोप भी लगाया गया है। वहीं उन्होंने यह भी पाया कि आरोपी नेता इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य समेत कई अहम सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे। हालांकि ने इस बारे में सिंगल जज की बेंच दो मोबाइल फोन का हवाला दिया है जिन्हें नष्ट किए जाने भी का दावा किया गया था।

दिल्ली सरकार में एक अहम पद पर थे सिसोदिया 

हालांकि इस दौरान हाईकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में एक अहम पद पर थे और सिसोदिया एक साथ 18 विभाग संभाल रहे थे। इसके साथ में वो आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के नाते दिल्ली सरकार और पार्टी, दोनों में प्रभाव रखते हैं। बता दें हाई कोर्ट ने बोला कि वह दिल्ली सरकार के सत्ता गलियारे में एक बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति थे। वहीं हाई कोर्ट ने यह भी माना कि अभियोजन जहां सिसोदिया के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपना केस रखने में सफल रहा, वहीं याचिकाकर्ता जमानत के लिए आधार बनाने में नाकाम हो गया।

सिसोदिया की दलील को हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया

गौरतलब है कि ट्रायल में देरी से जुड़ी सिसोदिया की दलील को हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया। वहीं इसको लेकर कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि किसी  भी मामले में देरी के लिए न तो सीबीआई और ईडी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और न ट्रायल कोर्ट को। हालांकि जस्टिस शर्मा ने इस बात को भी माना कि इसमें भी सिसोदिया और अन्य सह आरोपियों की भूमिका है। वहीं सिसोदिया को जहां कोर्ट से उम्मीद थी कि उन्हें ज़मानत मिल जाएगी। लेकिन 
हाई कोर्ट ने सिसोदिया को झटका देते हुए जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेशों को बरकरार रखा है। जबकि इससे पहले अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था। हालांकि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ी तो सिसोदिया फिर से जमानत के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने दूसरी बार यह कोशिश भी की। बता दें ईडी ने मनीष सिसोदिया 26 फरवरी, 2023  गिरफ्तार किया था। आइए जानते हैं हाई कोर्ट ने सिसोदिया मामले में किन मुख्य बातों पर ज़ोर दिया।

मुख्य बातें जो कोर्ट ने कहा

1. दरअसल जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि मामला मनीष सिसोदिया की ओर से सत्ता के दुरुपयोग और जनता के विश्वास के उल्लंघन से जुड़ा है। जो डिप्टी सीएम के पद पर कार्यरत थे और उनके पास 18 विभाग थे।

2. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि सिसोदिया अब तक अपने दो मोबाइल फोन पेश करने में विफल रहे, यहां तक कि कोर्ट का यह भी कहना है कि जमानत पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। गवाहों को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिनमें से कई सरकारी कर्मचारी हैं। 

3. वही हाई कोर्ट के जस्टिस ने यह भी बोला कि ट्रायल कोर्ट या अभियोजन पक्ष की ओर से कोई देरी नहीं की गई। जबकि कोर्ट ने यह भी ईडी सीबीआई और ट्रायल कोर्ट की गलती नहीं है, उनके पास जांच का बहुत बड़ा रिकॉर्ड है।

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