लोकसभा चुनाव 2024 : कन्नौज लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव मारेंगे बाजी या फस जाएगा कन्नौज, जाने वोटिंग समीकरण
लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण के अंतर्गत 13 मई को यूपी के 13 सीटों पर मतदान हुआ, जहां 130 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सीटों पर इस बार लगभग 58 प्रतिशत वोट पड़े, जिसमें कन्नौज लोकसभा सीट पर 60.89 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण के अंतर्गत 13 मई को यूपी के 13 सीटों पर मतदान हुआ, जहां 130 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सीटों पर इस बार लगभग 58 प्रतिशत वोट पड़े, जिसमें कन्नौज लोकसभा सीट पर 60.89 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस चरण में कन्नौज सीट से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं उन पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। जबकि यहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव की टक्कर मौजूदा बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक से है।
गौरतलब है कि पिछले तीन चुनाव की बात की जाए तो 2009 को छोड़कर कन्नौज में 60 फीसदी से ज्यादा मतदान हुए हैं।2009 में जहां 49.32 प्रतिशत वोट पड़े थे, वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में 61.62 प्रतिशत लोगों ने वोट किया। जबकि 2019 में 60.86 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। हालांकि इस बार भी वोटिंग का आंकड़ा 60 प्रतिशत के पार पहुंच गया है। वहीं पिछले तीनों ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर कन्नौज में बढ़ता गया है। ऐसे में इस बार सपा और बीजेपी दोनों इस उम्मीद में है कि टर्नआउट वोटर की ज्यादा तादाद उनके पक्ष में हो।
2000 में अखिलेश कन्नौज से पहली बार बने सांसद
बता दें कि अखिलेश यादव कन्नौज से ही तीन बार सांसद रह चुके हैं। जहाँ साल 2000 में हुए कन्नौज सीट पर उपचुनाव में वो पहली बार सांसद चुने गए थे। उसके बाद वो 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे। हालांकि उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा उन्होंने यहां से इस्तीफा दे दिया। वहीं 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वो बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गई थीं।
पिछले चुनाव में सपा का वोट प्रतिशत गिरा
दरअसल वोटर टर्नआउट की बात करें तो कन्नौज में 2009 में 49.32 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसमें सबसे अधिक समाजवादी पार्टी को 45.52 प्रतिशत वोट मिले , वहीं बीएसपी को 29.91 प्रतिशत और अन्य को 24.57 प्रतिशत मत मिले थे, हालांकि इसमें बीजेपी को मात्र 20.33 प्रतिशत वोट मिले थे। उस वक्त अखिलेश यादव ने यहां से एक लाख 15 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कराई थी।
वहीं अगर बात की जाए 2014 के लोकसभा चुनाव की तो इसमें 61.62 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जिसमें समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत गिरा और बीजेपी के वोट में इजाफा हुआ। सपा की उम्मीदवार डिंपल यादव ने महज 19 हजार 900 मत से जीत हासिल की थी। 2014 में सपा को 43.89 फीसदी, तो बीजेपी को कुछ ही कम 42.11 प्रतिशत और अन्य को 14 प्रतिशत मत मिले थे।
अखिलेश बार-बार जनता को पिता की याद दिलाते रहे
हालांकि इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान कन्नौज में अखिलेश यादव बार-बार जनता को अपने पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव की भी याद दिलाते रहे।उन्होंने लोगों से अपने परिवार के प्रति भावनात्मक जुड़ाव को लेकर भी अपील की। एक रैली के दौरान उन्होंने कहा कि नेताजी ने एक बार कहा था कि मैं इसे आपके बीच भेज रहा हूं, इसे नेता बना देना। मेरी पार्टी के दूसरे नेता ने भी कहा था कि आप इसे सुल्तान बना देना। किसी ने कहा था कि ये आपसे साथ कंधे से कंधा मिलाकर, राजनीतिक जीवन में हमेशा आपके साथ खड़ा दिखाई देगा। उसी का परिणाम है कि पहले चुनाव से जब भी चुनाव लड़ना पड़ा होगा, मैं चुनाव लड़ा या नहीं लड़ा लेकिन मैंने अपने कन्नौज के लोगों को कभी नहीं छोड़ा।
13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में हुआ मतदान
बता दें कि जिले की तीन विधानसभा सीट में कन्नौज सदर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां सबसे ज्यादा करीब 30 फीसदी वोटर इसी वर्ग से हैं। उसमें भी जाटव बिरादरी की सबसे ज्यादा संख्या है। इसके बाद मुस्लिम वोटर करीब 22 फीसदी हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोटर की संख्या भी करीब 20 फीसदी है। हालांकि कन्नौज में यादवों वोटर की संख्या 25 फीसदी है। जबकि क्षत्रिय, कुर्मी भी निर्णायक पोजिशन में हैं। सपा को अपने बेस वोट यादवों के साथ ही नॉन-यादवों के वोट मिलने का भरोसा है। दरअसल उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के अंतर्गत जिन 13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हुआ है। इन सभी लोकसभा सीटों पर 130 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे।
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