एनडीए की सरकार बनाने की कवायद शुरू : नायडू या नीतीश के साथ छोड़ने के बाद क्या बन पाएगी सरकार, समझे समीकरण
चंद्र बाबू नायडू और नीतीश कुमार दोनों ने साथ में एनडीए का साथ छोड़ दिया तो क्या उस स्थिति में एनडीए की सरकार बनी रहती है या गिर जाती है। समझते हैं समीकरण
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही देश में सियासत तेज हो गई है। जहां एनडीए गठबंधन को 292 सीटें मिलीं है। जिससे यह साफ़ होता है कि एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। जबकि इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें हासिल की हैं। लेकिन इसके बावजूद भी इंडिया गठबंधन के कई नेता सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। हालांकि चुनाव परिणाम को लेकर पार्टियों की बात करें तो इस वक़्त भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। दरअसल बीजेपी ने 240 हासिल किए है। लेकिन इसके बाद भी बीजेपी अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। वहीं कांग्रेस 99 सीटों के साथ इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। इसके बाद समाजवादी पार्टी 37 और टीएमसी को 29 सीटें मिली हैं।
सरकार बनाने की कवायद भी शुरू
दरअसल लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद सरकार बनाने की कवायद भी शुरू हो गई। जहां एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है। लेकिन इसके बावजूद भी सबकी निगाहें चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार पर टिकी हैं। जो इस चुनाव किंगमेकर बनकर उभरे हैं। बता दें कि बहुमत से दूर होने के बाद भी इस वक़्त इंडिया गठबंधन के कई नेता सरकार बनाने की बात कर रहे हैं। दरअसल इसको लेकर इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने यह दावा है कि वह भी सरकार बना सकती है। जहां इनके द्वारा बार-बार नायडू और नीतीश का नाम लिया जा रहा है।
एनडीए अकेले सरकार बनाने की स्थिति में
इस सबमें पहले बात करते हैं बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की, जो लोकसभा चुनाव से पहले से ही कई क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन में है। जहां इस गठबंधन में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP और नीतीश की पार्टी जेडीयू भी शामिल किया गया था। वहीं इनके गठबंधन के साथ ही चुनाव में एनडीए को 292 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से 20 सीट अधिक है। यानी कि इस वक़्त एनडीए बहुत ही आसानी से अकेले सरकार बनाने की स्थिति में है। दरअसल एनडीए की सबसे पार्टी बीजेपी ने अकेले 240 सीटें हासिल की हैं। जो बहुमत के आंकड़े से मात्र 32 कम है। वहीं अगर एनडीए गठबंधन में शामिल तीन सहयोगी को जोड़ दे तो बहुमत का आकड़ा पार हो जाता है। दरअसल इसमें चंद्रबाबू नायडू की 16 सीट है, जबकि एकनाथ शिंदे को 7 सीट मिली है, और नीतीश कुमार को 12 सीटें मिली हैं। इन सब की सीटें मिला दी जाए तो वो कमी पूरी हो जाती है।
नीतीश या नायडू के नहीं होने से सरकार बनेगी या नही
बता दें टीडीपी के पास 16 सीटें हैं। मान लीजिए कि अगर नायडू की पार्टी एनडीए गठबंधन का साथ छोड़ भी देती है इसके बावजूद भी एनडीए के पास बहुमत के लिए जरूरी 272 से 4 सीटें ज्यादा होंगी। यानी इनके जाने का बाद भी मोदी की ही सरकार बनेगी। वहीं अगर नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़ते हैं तो एनडीए गठबंधन की सीटें घटकर 280 पर आ जाएंगी। यह बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों से 8 ज्यादा है। मतलब यह है कि एनडीए, नीतीश कुमार के बिना भी सरकार बनाने की स्थिति में है। लेकिन अगर नायडू और नीतीश कुमार दोनों ने साथ में एनडीए का साथ छोड़ दिया तो क्या उस स्थिति में एनडीए की सरकार बनी रहती है या गिर जाती है। आइए समझते हैं समीकरण
एनडीए का पलड़ा है भारी
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान रखना जरूरी है कि इस बार 7 निर्दलीय और 11 छोटे पार्टियों के सांसद जीते हैं। और ये न तो एनडीए गठबंधन में है और ना ही इंडिया गठबंधन के साथ हैं। हालांकि इनमें से कई भाजपा के पूर्व सहयोगी हैं। ऐसे में ज्यादा संभावना है कि आने वाले समय में ये एनडीए में जा सकते हैं। यानी कि एनडीए का पलड़ा हर हाल में भारी नजर आ रहा है।
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