लोकसभा चुनाव में बसपा जीरो पर आउट : मायावती ने मुस्लिम समुदाय से जताई नाराजगी, जानिए हार क्या वजह रहीं

लोकसभा चुनाव नतीजों में बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। यहां तक कि उत्‍तर प्रदेश की 80 सीटों में से एक भी बसपा के हाथ कुछ नहीं आया है। हालांकि इसको लेकर अब रिजल्‍ट के बाद पहली बार बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया आई है।

Jun 5, 2024 - 12:20
लोकसभा चुनाव में बसपा जीरो पर आउट : मायावती ने मुस्लिम समुदाय से जताई नाराजगी, जानिए हार क्या वजह रहीं

लोकसभा चुनाव नतीजों में बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। यहां तक कि उत्‍तर प्रदेश की 80 सीटों में से एक भी बसपा के हाथ कुछ नहीं आया है। हालांकि इसको लेकर अब 
रिजल्‍ट के बाद पहली बार बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया आई है। बता दें कि मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं से अपनी नाराजगी जताई है। उन्‍होंने बोला कि पिछले कई चुनावों और इस बार लोकसभा चुनाव में उचित प्रतिनिधित्‍व देने के बाद भी मुस्लिम समाज बसपा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है।अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझकर ही चुनाव में मौका दिया जाएगा ताकि पार्टी को भविष्‍य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान ना हो।

मायावती ने जारी किया पत्र

दरअसल मायावती ने इसको लेकर अपने X हैंडल पर दो पेज का लेटर जारी किया है। इस पत्र में मायावती कई मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं। वहीं मायावती ने इतनी भीषण गर्मी में लोकसभा चुनाव करवाने को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने लिखा है कि बसपा चुनाव आयोग से शुरू से यह मांग करती रही है कि चुनाव बहुत लंबा नहीं खिंचना चाहिए। यह चुनाव सात चरणों में करीब ढाई महीने लंबा रहा। चुनाव कराते समय आम लोगों के साथ लाखों सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों का ध्‍यान भी रखना चाहिए। हालांकि मायावती ने सात चरणों में चुनाव कराने को लेकर भी सवाल उठाया है, इसको लेकर उन्होंने लिखा कि अध‍िकतम तीन या चार चरण में चुनाव कराया जाना चाहिए। जनजीवन अस्‍तव्‍यस्‍त होने के कारण चुनाव काफी प्रभावित रहा। गरीब और मेहनतकश लोगों के उत्‍साह में कमी आ गई। इससे वोट प्रतिशत काफी प्रभावित हुआ है।

बसपा के हारने के बाद उठ रहे सवाल

वहीं बसपा के हारने के बाद बहुत सारे सवाल भी उठ रहे हैं, इसको लेकर यह भी बोला जा रहा है कि कहीं कहीं उनके अकेले चुनाव लड़ने का फैसला भी उनके लिए गलत साबित हुआ है। जहां पहले दलित वोट इनके खाते में आते थे तो वहीं इस कई  जगहों पर उन्हें चंद्रशेखर आजाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में उन्हें अपनी उम्मीद नजर आती दिखी है। हालांकि, थोड़े बहुत पुराने इनके वोटर हैं जो अब भी इन्हें अपना नेता मानते हैं। जिसक पुष्टि भी चुनाव के नतीजे में हो रही है। हालांकि कई राजनीतिक जानकारों के द्वारा यह भी बोला तो यह भी जा रहा है कि मायावती ने इस बार के लोकसभा चुनाव में गठबंधन न करके सबसे बड़ी गलती की है। इसके बाद इनकी दूसरी बड़ी गलती आकाश आनंद को पद और प्रचार से हटा करके की है।जिसका खामियाजा इन्हें चुनाव में हार से चुकाना पड़ा है। 

मुस्लिम समाज के प्रति नाराजगी 

हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब बसपा को लोकसभा चुनाव में एक भी नहीं मिली है। दरअसल, इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को उत्तर प्रदेश में एक भी सीटें मिली थीं। 10 साल बाद फिर ये इतिहास ने खुद को दोहराया। बसपा ने सबसे ज्‍यादा 35 उम्‍मीदवारों पर दांव लगाया था। बावजूद इसके मुस्लिमों का सारा वोट सपा और कांग्रेस का चला गया। बसपा का मुस्लिम दलित फैक्‍टर पूरी तरह से नाकाम रहा। यही वजह से चुनाव नतीजे के बाद मायातवी ने मुस्लिम समाज के प्रति अपनी नाराजगी जताई है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow