लोकसभा चुनाव 2024: कन्नौज से उम्मीदवार बदल सकती है सपा, भतीजे की जगह खुद मैदान में उतरने की कर रहे हैं तैयारी में हैं अखिलेश यादव
यूपी की कन्नौज सीट से प्रत्याशी बदलने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। हालांकि 22 अप्रैल को समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, इस लिस्ट में दो उम्मीदवारों के नाम थे। जिसमें कन्नौज सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने परिवार के सदस्य तेज प्रताप यादव को टिकट दिया था।
समाजवादी पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रही है। वहीं कई सीटों पर तो ऐसा भी देखने के लिए मिला कि उम्मीदवारों की नाम के ऐलान होने के बाद फिर से नए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई है। यानि पहले जिस प्रत्याशी के नाम का एलान किया, उसका टिकट काटकर दूसरे को दिया गया है।
गौरतलब है कि एक बार फिर यूपी की कन्नौज सीट से प्रत्याशी बदलने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। हालांकि 22 अप्रैल को समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, इस लिस्ट में दो उम्मीदवारों के नाम थे। जिसमें कन्नौज सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने परिवार के सदस्य तेज प्रताप यादव को टिकट दिया था। जबकि बलिया लोकसभा सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया गया था।
कार्यकर्ताओं ने अखिलेश फैसला बदलने की गुजारिश
बता दें सपा नेतृत्व के सूत्रों के अनुसार पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता और नेता अखिलेश यादव के ही कन्नौज से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे। वहीं कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव से अपना फैसला बदलने की गुजारिश की है।
अब ख़बर यह है कि इसके कारण अखिलेश यादव ने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालांकि समाजवादी पार्टी की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। वहीं ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश यादव 25 अप्रैल को कन्नौज सीट से नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
पहले खबर थी अखिलेश नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
हालांकि इससे पहले खबर यह थी कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। वह उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए यूपी में बने रहना चाहते हैं।
बता दें इससे पहले अखिलेश यादव ने मैनपुरी के करहल से विधायक बनने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का पद खुद संभाला। जिसको लेकर चाचा शिवपाल के साथ आने के बाद नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर कयासबाजी शुरू हुई, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे।
बतातें चलें कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनके आजमगढ़ या कन्नौज से मैदान में उतरने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव और कन्नौज से तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। उन्होंने इन संभावनाओं पर विराम लगा दिया था। हालांकि इसके पीछे रणनीति बताई जा रही है। बता दें नेता प्रतिपक्ष के पास कैबिनेट मंत्री की तरह कई अधिकार होते हैं। प्रदेश की सियासत के आधार पर भी नेता प्रतिपक्ष का पद अहम माना जाता है। जबकि सांसद के पास निधि और कुछ विशेषाधिकार ही होते हैं।
पारिवारिक एकजुटता का दिया संदेश
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने कन्नौज से तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारकर पार्टी के अंदर किसी तरह के विरोध को उभरने से रोका है। वहीं कन्नौज से पहले डिंपल यादव सांसद थीं। लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद वह मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं। जबकि यहां से तेज प्रताप सांसद रह चुके हैं। ऐसे में मैनपुरी के बदले कन्नौज देकर उन्होंने पारिवारिक एकजुटता का संदेश दिया।
चौथे चरण की 13 सीटों के लिए 80 प्रत्याशी मैदान में
दरअसल लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 सीटों के लिए अब तक 80 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किए गए हैं। हालांकि बीते दिनों 35 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। इसके पहले 45 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। ददरौल विधानसभा उप निर्वाचन के लिए मंगलवार को एक प्रत्याशी ने नामांकन किया। इसके पहले दो प्रत्याशियों ने नामांकन किया था।
वहीं मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चौथे चरण की 13 लोकसभा सीटों ददरौल विधानसभा उप निर्वाचन के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 25 अप्रैल है। हालांकि नामांकन पत्रों की जांच 26 अप्रैल को की जाएगी। बता दें 29 अप्रैल, को नाम वापसी की अंतिम तिथि है। इसके उपरान्त इन निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची अंतिम हो जाएगी। बता दें इन सीटों पर 13 मई को मतदान होगा।
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