रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया, जाने भाई के कलाई पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन देश भर में हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है और भगवान से उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 01:30 बजे से शुरू होगा ।

Aug 18, 2024 - 23:17
रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया, जाने भाई के कलाई पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 
रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया  

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन देश भर में हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है और भगवान से उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। भाई इस प्रेम रूपी धागे को बंधवा कर जीवनभर उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते है और साथ ही अपनी बहन को उपहार देते है।

रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया  

हालांकि ज्योतिष का कहना है कि रक्षा बंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा, जिसके चलते बहनों को भाइयों के राखी बांधने के लिए कई घंटों का इंतजार करना पड़ेगा। भद्रा का साया 19 अगस्त को सुबह तीन बजे से शुरू होगा और दोपहर 01:29 तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा में बहनों को अपने भाइयों के राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्रा काल के दौरान किसी भी हाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा काल में भाई रावण को राखी बांधी थी जो कि उसके विनाश का कारण बना।

01:30 बजे से रात के 9:07 बजे तक रहेगा शुभ मुहूर्त 

वही राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 01:30 बजे से शुरू होगा और रात के 9:07 बजे तक रहेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है और शंकर भगवान की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन श्रावन माह का अंतिम सोमवार भी रहेगा।

कृष्ण और द्रौपदी जुड़ी है कहानी 

दरअसल महाभारत काल में कृष्ण और द्रौपदी का एक वृत्तांत मिलता है, उसके अनुसार जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था, तब उनकी तर्जनी अंगुली में चोट आ गई और खून बहने लगा था। ये देखकर द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उसे भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली पर पट्टी की तरह बांध दिया था। वहीं यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। इसके उपरांत भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीर-हरण के समय उनकी लाज बचाते हुए भाई होने का धर्म निभाया था। तब से ही रक्षा बंधन के दिन भाई की कलाई पर बहन के राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। हालांकि पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके अलावा रक्षाबंधन पर्व के बारे में राजा बलि, माता लक्ष्मी एवं ऐसी कई अनेक पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं।

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