क्या मुरादाबाद लोकसभा सीट पर दोबारा होगा चुनाव? बीजेपी प्रत्याशी के निधन के बाद उठ रहे हैं सवाल, चुनाव के नतीजे आने के बाद निकलेगा विकल्प
पहले चरण के चुनाव खत्म होते ही बीजेपी को बड़ा झटका लग गया है। बता दें भारतीय जनता पार्टी के मुरादाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह का बीते शनिवार की शाम निधन हो गया। उन्होंने शाम 6:30 बजे दिल्ली AIIMS में 71 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। हालांकि कुंवर सर्वेश को जब भाजपा की ओर से जब टिकट मिला था।
पहले चरण के चुनाव खत्म होते ही बीजेपी को बड़ा झटका लग गया है। बता दें भारतीय जनता पार्टी के मुरादाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह का बीते शनिवार की शाम निधन हो गया। उन्होंने शाम 6:30 बजे दिल्ली AIIMS में 71 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। हालांकि कुंवर सर्वेश को जब भाजपा की ओर से जब टिकट मिला था, वह तभी से अस्पताल में भर्ती थे।
मिली जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि कुंवर सर्वेश कैंसर से पीड़ित थे। वहीं इस सीट पर 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत वोटिंग हुई थी। बताते चलें कि पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया और कहा, 'उनका जाना पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
गौरतलब है कि सर्वेश सिंह के निधन की जानकारी सामने आते ही, राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक सबके मन में एक सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, कुंवर सर्वेश सिंह बीजेपी प्रत्याशी थे। मुरादाबाद सीट पर चुनाव भी संपन्न हो चुके हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुरादाबाद सीट पर दोबारा चुनाव कराया जाएगा? क्या प्रत्याशी के निधन के कारण मुरादाबाद में हुआ पहले चरण का लोकसभा चुनाव रद्द कर दिया जाएगा। क्या इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराने की संभावना बन रही हैं। आखिर चुनाव बाकी रहते एक प्रत्याशी के निधन के बाद क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं। आइए जानते हैं इस विषय में जानकारों का क्या कहना है।
जानकारों की चुनाव रद्द करने पर क्या है राय
बता दें इस वक़्त सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की चल रही है। मुरादाबाद लोकसभा सीट पर जो पहले चरण का चुनाव हुआ है क्या उस चुनाव को रद्द माना जाएगा। हालांकि मुरादाबाद लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए जाने को लेकर भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। वहीं इस बारे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसके लिए मतगणना तक रुकना ही विकल्प है। इसके पीछे का तर्क है कि, अभी सिर्फ मुरादाबाद सीट पर वोटिंग ही हुई है, हालांकि सर्वेश सिंह या किसी अन्य प्रत्याशी की हार हुई या जीत यह अभी तय नहीं हुआ है। अगर सर्वेश सिंह की हार होती है तो फिर ये सवाल अपने आप ही खत्म हो जाएंगे।
सर्वेश सिंह जीत जाते हैं तो उपचुनाव होना तय
वहीं इस मामलें में आगे जानकारों का कहना है कि मुरादाबाद सीट पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अभी तुरंत ही उपचुनाव की संभावना बनती नहीं दिख रही है। ये है कि मतगणना में अगर सर्वेश सिंह जीत जाते हैं तो उपचुनाव की होना तय है। अगर काउंटिंग के समय सर्वेश सिंह की हार होती है और दूसरा कोई प्रत्याशी जीतता है तो वही सांसद बनेगा, तब जाहिर सी बात है उपचुनाव की जरूरत नहीं होगी। इस पूरे मामले में सिर्फ एक ही स्थिति में उपचुनाव संभव है कि अगर सर्वेश सिंह की मतगणना में जीत हो जाएं, तब उस स्थिति में वह अपने संसदीय क्षेत्र के लिए मौजूद नहीं रहेंगे, लिहाजा चुनाव रद्द किया जाएगा और मुरादाबाद लोकसभा सीट पर फिर से चुनाव होंगे।
मतदान से पहले हो जाए निधन तो क्या हैं नियम?
बतातें चलें कि मतदान से पहले किसी प्रत्याशी का निधन हुआ है तो चुनाव रद्द कर उस सीट पर चुनाव की नई तारीख तय की जाती है और फिर से वोटिंग होती है।
अगर नामांकन के बाद उम्मीदवार का निधन हो जाए तो और नामांकन वैध रहा हो तो चुनाव रद्द हो जाएगा और पार्टी को फिर से नया उम्मीदवार उतार कर उसका नामांकन दाखिल कराना होगा।
हालांकि इसके साथ ही, अगर किसी पार्टी ने किसी सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया हो लेकिन उसके नामांकन करने से पहले ही उसका निधन हो गया तो पार्टी उस सीट से नया उम्मीदवार घोषित कर सकती है।
1991 में पहली बार लड़ा था विधानसभा चुनाव
अगर कुंवर सर्वेश सिंह के बारे में बात की जाए तो उनका जन्म 22 दिसंबर 1951 को हुआ था। वहीं सर्वेश सिंह ने 1991 में पहली बार बीजेपी की टिकट पर ठाकुरद्वारा सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद वह लगातार चार बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। बताते चलें कि सर्वेश सिंह 1991 के बाद 1993, 1996 और 2002 में लगातार चुनाव जीते थे। हालांकि 2007 में उन्हें बसपा कैंडिडेट से हार का सामना करना पड़ा था। दरअसल सर्वेश सिंह के बेटे सुशांत सिंह बिजनौर की बढ़ापुर विधान सभा से बीजेपी विधायक हैं।
बीजेपी ने चौथी बार बनाया था कैंडिडेट
गौरतलब है कि सर्वेश सिंह को भाजपा ने चौथी बार मुरादाबाद लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया था। वहीं 2009 में उन्होंने पूर्व क्रिकेटर अजहरुद्दीन के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन हार गए थे, इसके बाद 2014 में उनके सामने सपा की टिकट पर डॉ. एसटी हसन थे। इस चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने ताल ठोकी थी, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था।
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