माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की फिर बढ़ीं मुश्किलें, अब इस मामले में दोषी करार…

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की फिर बढ़ीं मुश्किलें, अब इस मामले में दोषी करार…

Mar 13, 2024 - 20:44
Mar 13, 2024 - 20:46
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की फिर बढ़ीं मुश्किलें, अब इस मामले में दोषी करार…

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मुश्किलें लागातार लगातार बढ़ती जा रही है. बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी एक और मामले में दोषी करार दिए गए. ऐसे में मुख्तार अंसारी को इस बार फर्जी शस्त्र मामले (Arms Act Case) में दोषी करार दिया गया है. वराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने मुख्तार को दोषी ठहराया है. फैसला एमपी एमएलए कोर्ट के जज अवनीश गौतम की अदालत ने फैसला सुनाया है.

बता दें कि मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल में ही मुख्तार असांरी की पेशी की गई है. 35 साल पहले फर्जीवाड़ा कर दोनाली बंदूक का शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में मुख्तार को विशेष न्यायाधीश (MP-MLA) अवनीश गौतम की अदालत ने दोषी करार दिया है.

अब इस मामले में मुख्तार अंसारी कल यानी कि 13 मार्च को सजा सुनाई जाएगी. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह तीसरा मुकदमा होगा, जिसमें अदालत द्वारा कल सजा सुनाई जाएगी. हालांकि इससे पहले अवधेश राय हत्याकांड के साथ-साथ कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकाने के मामले में वराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने सजा सुना चुकी है.

बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को एक बार फिर से नई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ दो लाख दो हजार रुपये का जुर्माना भी उसको भुगतना होगा। मुख्तार अंसारी पर अवैध दोनाली बंदूक रखने का आरोप सिद्ध होने पर उसे यह सजा सुनाई गई है। इसके अलावा, एक पुराना मामला जो 36 साल पहले दर्ज हुआ था, उसमें भी मुख्तार अंसारी को आज दोषी पाया गया है। बांदा जेल से हो रही अंसारी की वर्चुअल पेशी ने उसको और ज्यादा मुश्किल में डाल दिया है।

विधिक कदम

इस मामले में वाराणसी के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी पाया है। अवनीश गौतम ने धारा 428, 467, 468, 120B भारतीय दंड संहिता व धारा 30 आर्म्स एक्ट में दोषसिद्ध होने पर सजा सुनाई है। यहां तक कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) में भी उसको दोषमुक्त किया गया है।

अभियोग के अनुसार, मुख्तार अंसारी ने तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गाजीपुर देवराज नागर के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल करके शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था। यह मामला सन 1990 में पंजीकृत हुआ था, और इसकी जाँच की गई। जाँच के बाद, अंसारी और तत्कालीन शास्त्र लिपिक गौरीशंकर लाल के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में भेजा गया।

विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम के नेतृत्व में वाराणसी के न्यायालय में मुख्तार अंसारी के मामले का विचारण किया गया। उसके अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रत्यक्ष परीक्षण में अश्फाक अहमद, आलोक रंजन, श्रीप्रकाश, देवराज नागर, मूलचंद तिवारी, रामनारायण सिंह, राम शिरोमणि पांडेय, जगन मैथ्यूज, विश्व भूषण सिंह, और मदन सिंह को शामिल किया गया था।

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