कानपुर में मसालों को लेकर हुआ बड़ा खुलासा : कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं जानलेवा मसाले, मसालों में मिले कीटनाशक और बैक्टीरिया
सब्जी मसालों में कीटनाशक और जानलेवा बैक्टीरिया पाए जाने का मामला सामने आया है। ये मसाले सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। मसालों में जानलेवा बैक्टीरिया पाए जाने के मामले ने हर किसी को हैरान कर दिया है। ये बैक्टीरिया लोगों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने के साथ-साथ कैंसर का कारण भी बन सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहाँ लोग अपने भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए अलग अलग मसालों का उपयोग करते हैं। इसको लेकर मार्केट में कई कंपनी के मसाले भी मिलते हैं। लेकिन अब हो जाइए सावधान नहीं तो आपके लिए जीभ का स्वाद कहीं जानलेवा भी साबित हो सकता है। दरअसल सब्जी मसालों में कीटनाशक और जानलेवा बैक्टीरिया पाए जाने का मामला सामने आया है। ये मसाले सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। मसालों में जानलेवा बैक्टीरिया पाए जाने के मामले ने हर किसी को हैरान कर दिया है। ये बैक्टीरिया लोगों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने के साथ-साथ कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। इसको लेकर डॉक्टरों का कहना है कि मसाले में कीटनाशक होना हानिकारक है। इससे किडनी, लिवर, स्किन और अधिक उपयोग से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इस पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। दरअसल, अब खड़े मसालों की जगह पिसे हुए मसालों की डिमांड बढ़ गई है।
कीटनाशक और माइक्रोबैक्टीरिया बेहद घातक
गौरतलब है कि मसाला निर्माता पिसे हुए मसालों को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए खतरनाक कीटनाशक और बैक्टीरिया का उपयोग कर रहे हैं। अब मसालों की जांच रिपोर्ट ने हर किसी को हैरान कर दिया है। कानपुर के असिस्टेंट फूड कमिश्नर सेकेंड संजय प्रताप सिंह ने कहा कि मसालों के 33 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें से 23 सैंपल अनसेफ मिले हैं। मसालों में मिले कीटनाशक और माइक्रोबैक्टीरिया लोगों के जीवन के लिए बेहद घातक हैं। सभी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो सभी फर्मों पर कार्रवाई होगी।
33 सैंपल में से जांच रिपोर्ट में 23 अनसेफ
जबकि कानपुर में सब्जी मसालों में गड़बड़ी शिकायत लगातार आ रही थी। वहीं इस मामले में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की टीम ने शहर में 2 मई को मसाला प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की थी। जहां छापेमारी के दौरान मसाले के 33 सैंपल जांच के लिए लाए गए थे। इन सैंपल को जांच के लिए हरियाणा स्थित प्रयोगशाला में भेजा गया। वही अब जांच रिपोर्ट सामने आई है। जाँच रिपोर्ट सामने आने के बाद मसाला कंपनी की पोल भी खुल गई है। दरअसल मसालों के 33 सैंपल में से जांच रिपोर्ट में 23 अनसेफ मिले हैं। मतलब, 70 फीसदी मसालों के सैंपल असुरक्षित पाए गए। यही नहीं, यहां तक कि मसालों के 16 सैंपल में खतरनाक कीटनाशक और माइक्रो बैक्टीरिया मिले हैं।
हालांकि मसालों में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में जानलेवा बैक्टीरिया पाए गए हैं। जबकि मसाला बनाने वाली कंपनियों के मालिकों को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा गया है। हालांकि अगर कंपनी की ओर से जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो सभी के खिलाफ केस दर्ज किया जाने की तैयारी की गई है।
सैंपल जांच में हैरान करने वाली रिपोर्ट आई
बता दें जब मसालों का सैंपल जांच किया गया तो जांच रिपोर्ट में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल मसालों में कार्बेडाजिम का प्रयोग है। इसको लेकर ऐसा दावा किया जा रहा है कि फफूदी नियंत्रण के लिए कार्बेडाजिम का उपयोग किया जाता है। हालांकि छापेमारी के दौरान लिए गए एक प्रसिद्ध मसाले के सैंपल से कार्बेडाजिम मिला है। कार्बेडाजिम एक फंगीसाइड है। इसका इस्तेमाल मसाले में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। फंफूदी नियंत्रण के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। वही आम लोग कार्बेडाजिम का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। इसके उपयोग से सेहत पर कई गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। इसके सेवन से दिल और गुर्दे पर खतरनाक असर पड़ता है। बांझपन और अन्य प्रजनन समस्याएं भी हो सकती है। हालांकि फिलहाल कंपनी की ओर से जवाब का इंतजार है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रोपरगाइट एक एराकिसाइड है
दरअसल सैंपल जांच रिपोर्ट में एक अन्य चर्चित मसाले के सैंपल में प्रोपरगाइट मिला है। वहीं मसालों को अधिक समय तक चलाने के लिए प्रोपरगाइट का इस्तेमाल किए जाने की भी बात कही जा रही है। दरअसल, प्रोपरगाइट एक एराकिसाइड है। इसका उपयोग मुख्य रूप से खेतों में कीड़ों से फसल की रक्षा के लिए किया जाता है। हालांकि विशेष रूप से इसका प्रयोग मकड़ी से फसलों की रक्षा के लिए होता है। प्रोपरगाइट के सेवन से त्वचा और आंखों में जलन हो सकती है। अगर इसका ज्यादा सेवन किया गया तो इंटरनल जलन और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।
इस प्रकार के मसाले के अधिक सेवन से सांस लेने में दिक्कत आ सकती है। इससे खांसी, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे लिंफोमा और अन्य प्रकार के कैंसर तक हो सकते हैं। प्रजनन क्षमता में कमी और जन्मदोष का जोखिम भी इसके सामान्य उपयोग से हो सकता है।
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