दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की मांग, सिख फॉर जस्टिस से फंड लेने का है आरोप
सीएम केजरीवाल पर प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस से राजनीतिक चंदा लेने का आरोप लगा है। दरअसल उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी से इसकी जांच कराने की मांग की है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। अब सीएम केजरीवाल पर प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस से राजनीतिक चंदा लेने का आरोप लगा है। दरअसल उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी से इसकी जांच कराने की मांग की है।
बता दें उपराज्यपाल सचिवालय के अनुसार, विश्व हिंदू महासंघ, भारत के राष्ट्रीय महासचिव आशू मोंगिया ने एक अप्रैल को पेन ड्राइव के साथ सक्सेना को शिकायत की थी। उसमें आरोप है कि केजरीवाल की पार्टी आप ने खालिस्तान समर्थक आतंकी समूह से 1.6 करोड़ डॉलर लिए हैं। यह धान राशि कथित तौर पर 1993 के दिल्ली बम धमाके में सजायाफ्ता देवेंद्रपाल भुल्लर की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए दिया गया था। दरअसल दिल्ली धमाकों में 9 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 25 अगस्त 2001 को विशेष टाडा कोर्ट ने भुल्लर को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि इस सजा को कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया। भुल्लर की सजामाफी के लिए केजरीवाल ने राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा था। जबकि भुल्लर पहले तिहाड़ जेल में था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से जून 2015 को उसे अमृतसर जेल भेज दिया गया था।
एलजी ने बताया मामलें को गंभीर
बता दें उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा कि शिकायतकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की फोरेंसिक जांच के साथ मामले की व्यापक पड़ताल जरूरी है। मामला गंभीर है, क्योंकि शिकायत मुख्यमंत्री के खिलाफ है। शिकायत में उस वीडियो का भी हवाला दिया गया है। जिसे खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने जारी किया था। इसमें पन्नू ने बोला था कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप ने 2014 से 2022 के दौरान खालिस्तानी समूहों से 1.6 करोड़ डॉलर प्राप्त किए।
खालिस्तान समर्थक नेताओं से मिले थे केजरीवाल
गौरतलब है कि शिकायत में कहा गया है, केजरीवाल ने 2014 में अपनी न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान गुरुद्वारा रिचमंड हिल्स में खालिस्तान समर्थक नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। इसमें कथित तौर पर केजरीवाल ने भुल्लर की रिहाई में मदद का वादा किया था। शिकायतकर्ता ने कहा है, पूर्व आप कार्यकर्ता मुनीश कुमार रायजादा ने भी इस बैठक की तस्वीरें साझा की थीं। अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश करने से नए सिरे से सियासी हलचल बढ़ गई है।
बता दें कथित शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद सीएम केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले की गई सिफारिश को आम आदमी पार्टी बड़ी साजिश करार दे रही है। हालांकि भाजपा ने इसका स्वागत किया है। उधर, जानकार मानते हैं कि आरोप बेहद गंभीर हैं। एनआईए जांच से आप और केजरीवाल की सियासी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सौरभ भारद्वाज ने राजनीतिक षड़यंत्र करार दिया
दरअसल सौरभ भारद्वाज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच को राजनीतिक षड़यंत्र करार दिया है। आप का कहना है कि चुनाव से पहले भाजपा आरोप लगाती है। 2022 में हुए पंजाब चुनाव के दौरान भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उस समय जांच भी हुई थी, लेकिन कुछ नहीं निकला। हालांकि मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हर चुनाव से पहले केजरीवाल पर इसी प्रकार के आरोप लगाना भाजपा का राजनीतिक षड़यंत्र बन गया है।
हालांकि सौरभ भारद्वाज के मुताबिक, दो साल पहले इसी मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। अदालत ने इस पहली नजर में खारिज कर दिया था। तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने जगदीश शर्मा की दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज किया था कि यह पूरी तरह से तुच्छ है।
बीजेपी ने एनआईए जांच की सिफारिश का किया स्वागत
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एनआईए जांच की सिफारिश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जेल में बंद अरविंद केजरीवाल का खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का समर्थन था। उनके राजनीतिक कॅरियर के दौरान और एनजीओ हेड के रूप में काम करते थे। तब से देश ने देखा है कि अरविंद केजरीवाल हमेशा से अलगाववादी कार्यक्रमों के प्रति नरम दिल रखते हैं। यासीन मलिक जैसे लोगों को समर्थन के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। खलिस्तान लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) और जेकेएलएफ के प्रति भी उनका नरम दिल था। सिख फॉर जस्टिस से केजरीवाल के वित्तीय सहायता स्वीकार करने की संभावनाओं को नकार नहीं सकते हैं। 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब वह एक केएलएफ के नेता गुरविंदर सिंह के आवास पर ठहरे भी थी।
केजरीवाल का पत्र मिलने पर किया था अनशन खत्म
दरअसल सजायाफ्ता कैदियों की समय से पूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए गठित दिल्ली सरकार के बोर्ड ने भुल्लर के मामले की दिसंबर, 2023 में समीक्षा की थी। बोर्ड ने भुल्लर की समय से पहले रिहाई खारिज कर दी थी। बोर्ड ने कहा कि भुल्लर का मामला समय से पहले रिहाई के लिए सही नहीं है। हालांकि बैठक में कहा गया कि अगर ऐसे दोषी को रिहा किया जाता है, तो वह देश की संप्रभुता, अखंडता और शांति के लिए सीधा खतरा पैदा कर सकता है। केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव ने केजरीवाल की ओर से 2014 के जनवरी में लिखे पत्र में इकबाल सिंह नामक व्यक्ति के नाम हवाला भी दिया है। हालांकि आप सरकार ने पहले ही राष्ट्रपति को प्रोफेसर भुल्लर की रिहाई की सिफारिश की है और एसआईटी आदि के गठन समेत अन्य मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक और समयबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। भुल्लर की रिहाई के लिए लिखित आश्वासन की मांग को लेकर इकबाल सिंह जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठा था और केजरीवाल का पत्र मिलने के बाद ही उसने अपना अनशन खत्म किया।
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