बसपा के सांसदो को पार्टी पर नहीं रहा भरोसा, दूसरी पार्टियों में कर रहे मौके की तलाश
बसपा के सांसदो को पार्टी पर नहीं रहा भरोसा, दूसरी पार्टियों में कर रहे मौके की तलाश
यूपी में लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहाँ सभी पार्टियां दूसरी पार्टियों से गठबंधन कर रहीं है वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा से जीते हुए सांसद बसपा को छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। अभी तक बसपा के 4 सांसद अपना पाला बदल चुके हैं पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक के सांसद अन्य राजनीतिक दलों की पार्टियों में शामिल होकर 2024 के चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। उधर बसपा प्रमुख मायावती का कहना है कि 2024 के लिए लोकसभा चुनाव में हुआ कैडर पदाधिकारी को चुनाव के मैदान में उतरेंगी
इन लोगों ने छोड़ा बीएसपी का साथ
25 फरवरी को दिल्ली में अंबेडकर नगर में बीएसपी सांसद रितेश पांडे ने भाजपा ज्वाइन कर लिया माना यह भी जा रहा है कि उनका टिकट यहा से तय है। वही अफजाल अंसारी और दानिश अली ने भी पार्टी छोड़ दी है। गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी सपा के पाले में जा चुके हैं तो अंबेडकरनगर से सांसद रितेश पांडेय ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली और जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर खुद को पार्टी से अलग करने का संकेत दे दिया है। सूत्रों के अनुसार लालगंज की सांसद संगीता आजाद भी भाजपा में शामिल हो सकती हैं।
वही आधे सांसदों का दूसरे दलों में जाना बसपा के लिए एक बड़ा झटका है। इसकी प्रमुख वजह बसपा का गठबंधन में शामिल नहीं होना बताया जा रहा है। हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने छोटे दलों से गठबंधन करने का विकल्प छोड़ रखा है, लेकिन उनके लिए भी बसपा के बजाय इंडिया गठबंधन ज्यादा बेहतर विकल्प बना हुआ है।
आकाश आनंद के सर पर बड़ी जिम्मेदारी
सवाल यह उठ रहा है कि उत्तराधिकारी घोषित हुए आकाश आनंद के लिए पार्टी को कैसे मजबूत करेंगे। सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने यूपी की राजनीति में खलबली मचा दी है जिसकी वजह से बीएसपी के 2019 लोकसभा के विजेता उम्मीदवार पार्टी पर भरोसा नहीं जता पा रहे हैं और लगातार पार्टी छोड रहे है। इन उम्मीदवारों को पार्टी से जोड़कर रखने में आकाश आनंद को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
पश्चिम में मुकाबला हुआ मुश्किल
पश्चिमी यूपी की राजनीति में अपनी गहरी पैठ रखने वाली बसपा के सामने दो बड़ी चुनौतियां है। एक ओर भाजपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो दूसरी तरफ सपा और कांग्रेस। इन हालात में बसपा प्रत्याशियों के लिए जीत के लायक वोट जुटाना आसान नहीं हो पाएगा। वहीं बसपा के कुछ सांसद सपा में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। घोसी से बसपा सांसद अतुल राय भी किसी और दल से चुनाव लड़ सकते हैं, जो बड़े दलों का सहयोगी है।
सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर्रहमान को भी ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ रहा है। सहारनपुर की सीट कांग्रेस के पाले में जा चुकी है। कांग्रेस इमरान मसूद को प्रत्याशी बनाएगी, इसे लेकर अभी संशय बना हुआ है। इमरान की सियासी डोर कमजोर हुई तो कांग्रेस हाजी फजलुर्रहमान पर दांव आजमा सकती है।
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