पेरिस पैरालंपिक में मेडल की हुई बरसात, सुंदर सिंह गुर्जर ने ब्रॉन्ज मेडल और अजीत सिंह ने सिल्वर जीता, हादसे के बाद भी नहीं हारी हिम्मत 

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के लिए मेडल की बरसात हो रही है। जहां ओलंपिक में भारत को एक-एक मेडल के लिए काफी जूझना पड़ रहा था। लेकिन पैरालंपिक में एक ही इवेंट में भारत के नाम पर दो-दो मेडल आ रहे हैं। दरअसल भाला फेंक में अजीत सिंह ने सिल्वर और सुंदर सिंह गुर्जर ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर इतिहास रच दिया है। 

Sep 4, 2024 - 14:23
पेरिस पैरालंपिक में मेडल की हुई बरसात, सुंदर सिंह गुर्जर ने ब्रॉन्ज मेडल और अजीत सिंह ने सिल्वर जीता, हादसे के बाद भी नहीं हारी हिम्मत 

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के लिए मेडल की बरसात हो रही है। जहां ओलंपिक में भारत को एक-एक मेडल के लिए काफी जूझना पड़ रहा था। लेकिन पैरालंपिक में एक ही इवेंट में भारत के नाम पर दो-दो मेडल आ रहे हैं। दरअसल भाला फेंक में अजीत सिंह ने सिल्वर और सुंदर सिंह गुर्जर ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर इतिहास रच दिया है। 
 बता दें अजीत सिंह ने F46 कैटेगरी में 65.62 मीटर दूर भाला फेंक कर दूसरा स्थान हासिल किया, वही अगर सुंदर सिंह गुर्जर की बात की जाए तो उन्होंने 64.96 मीटर के थ्रो के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया। देश के लिए मेडल लाने वाले दोनों ही एथलीट पर देश काफी गर्व महसूस कर रहा है। वही दोनों के जिन्दगी की कहानी भी काफी प्रेरणादायक है। जिससे ये सीखने के लिए मिलता है कि कितना भी कठिन परिस्थिति हो लेकिन जीवन में हार नहीं मानना चाहिए। 

अजीत सिंह का 5वां थ्रो रहा सबसे बेस्ट

बता दें पेरिस के स्टेड डी फ्रांस में 30 साल के अजीत सिंह का 5वां थ्रो सबसे बेस्ट रहा। वही 65.62 मीटर उनका पर्सनल बेस्ट थ्रो भी है। दरअसल अजीत सिंह ने जीत के बाद कहा कि , मैंने तोक्यो में पैरालंपिक में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, इसलिए इस बार मैंने पदक पर ध्यान केंद्रित किया। मेरा ध्यान गोल्ड पर नहीं था, मैं बस कोई भी पदक जीतना चाहता था। इसलिए मैं बहुत खुश हूं। एफ46 खेल वर्ग में एथलीटों के हाथ विकलांगता से प्रभावित होते हैं। दरअसल अजीत सिंह के बाएं हाथ कोहनी के नीचे से एक ट्रेन दुर्घटना में कट गया था।

सुंदर सिंह गुर्जर ने हाथ खोने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत 

गौरतलब है कि राजस्थान के करौली के रहने वाले सुंदर सिंह गुर्जर ने एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ खो दिया था। इस घटना ने सुंदर को अंदर तक तोड़ के रख दिया था। यहां तक कि इस घटना के बाद उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने के बारे में भी सोचा था। लेकिन, पैरा स्पोर्ट्स ने उन्हें जीने की एक नई राह दिखाई। इसी हौसले के बदोलत आज इन्होंने पदक जीता है। 

सुंदर के नाम 68.60 मीटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड है दर्ज

बता दें सुंदर के नाम पर 68.60 मीटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है। हालांकि यहां पर सुन्दर अपने उस प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाए।  लेकिन उन्होंने एशियाई पैरा खेलों में गोल्ड जीता था। इसके  अलावा उन्होंने टोक्यो 2020 में 64.01 मीटर के प्रयास के साथ ब्रॉन्ज भी अपने नाम कर चुके हैं। 3 सितंबर को हुए मुकाबले में क्यूबा के गुइलेर्मो वरोना गोंजालेज ने 66.14 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता।

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