यमुना अथॉरिटी के हक में आया हाई कोर्ट का फैसला : 13 बिल्डरों समेत 94 संस्थानों से होगी 6 हजार करोड़ के ब्याज की वसूली
यमुना अथॉरिटी एरिया में स्थित ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्टों के बिल्डरों और छोटे-बड़े शिक्षण संस्थानों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल यमुना अथॉरिटी किसानों को दिए गए 64.7 फीसदी के मुआवजे के ब्याज को लेकर लंबे समय से इन संस्थानों से लड़ाई लड़ रही थी। जबकि अब अथॉरिटी ने हाई कोर्ट में यह लड़ाई जीत ली है
यमुना अथॉरिटी एरिया में स्थित ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्टों के बिल्डरों और छोटे-बड़े शिक्षण संस्थानों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल यमुना अथॉरिटी किसानों को दिए गए 64.7 फीसदी के मुआवजे के ब्याज को लेकर लंबे समय से इन संस्थानों से लड़ाई लड़ रही थी। जबकि अब अथॉरिटी ने हाई कोर्ट में यह लड़ाई जीत ली है, जिसके कारण अब वर्षों पुराना ब्याज अब इन संस्थानों को देना होगा। जिसमें 13 बिल्डरों समेत 94 संस्थानों से बकाया ब्याज की वसूली की जाएगी। जिन्हें बड़ा झटका लगा है। और जिनसे बकाया ब्याज की वसूली की जायगी उसमें बड़े संस्थानों के नाम शामिल हैं। यहां तक कि प्राधिकरण इनसे बकाया की मोटी रकम वसूलने वाली है।
6 हजार करोड़ का ब्याज बकाया
गौरतलब है कि अथॉरिटी के अनुमान के अनुसार, इसके तहत करीब 6 हजार करोड़ रुपये का ब्याज का बकाया इन संस्थानों पर बनता है, जो कि कोर्ट में अथॉरिटी की जीत के बाद अब इनसे वसूला जाएगा। इसको लेकर हाई कोर्ट का आदेश आते ही अथॉरिटी ने इन सभी ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्टों और संस्थानों के अथॉरिटी संबंधी कार्यों पर रोक लगा दी है। जबकि अथॉरिटी का कहना है कि इन सभी को आने वाले दो-चार दिन में नोटिस भेज दिया जाएगा। हालांकि हर एक संस्थान पर ब्याज की जितनी रकम बकाया है, उस अमाउंट की 25 प्रतिशत धनराशि की किश्त जमा करने के बाद ही अब इनके अथॉरिटी संबंधी काम शुरू किए जाएंगे। वहीं प्राधिकरण के द्वारा सभी संस्थाओं को नोटिस दिया जाएगा जिसमें एक समय निर्धारित किया जाएगा। उसके अंदर ही इनको रकम जमा कराना होगा।
यमुना अथॉरिटी ने लोन लेकर किसानों को बांटा था पैसा
बता दें कि बसपा सरकार के समय साल 2010 से पहले यमुना अथॉरिटी एरिया में किसानों की जमीनों का अधिग्रहण कर बिल्डरों और संस्थानों को आवंटन कर दिया गया था। हालांकि जमीनों का आवंटन तो कर दिया गया लेकिन लेकर किसानों के साथ जमीन के मुआवजे का विवाद चलता रहा। किसान अथॉरिटी से 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर रहे थे। यानी कि जिस किसान को जमीन का जितना मुआवजा मिला, उसका 64.7 फीसदी उसे और दिया जाए। इस पर जब किसानों और अथॉरिटी की सहमति नहीं बनी तो किसान कोर्ट चले गए। कोर्ट में किसानों की जीत हुई और इसके बाद यमुना अथॉरिटी को भी अपने यहां कोर्ट का यह आदेश लागू करना पड़ा। इसके लिए यमुना अथॉरिटी ने बैंकों से करीब 4000 करोड़ का लोन लेकर किसानों को यह पैसा बांटा था। वही कोर्ट का आदेश होने के कारण जिन बिल्डरों और संस्थानों को किसानों की जमीन दी गई थी, उनसे इस 64.7 फीसदी मुआवजे की ब्याज सहित वसूली शुरू कर दी गई।
2019 में हाई कोर्ट गया था मामला
हालांकि कुछ वक़्त की लड़ाई के बाद ये आवंटी 64.7 फीसदी मुआवजे का पैसा तो अथॉरिटी को देने के लिए तैयार हो गए लेकिन ब्याज के साथ पैसा देने से इन्होंने मना कर दिया। इसके बाद 2019 में यह मामला हाई कोर्ट में चला गया। तब से इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। जिसमें बिल्डर और संस्थान कह रहे थे कि हम ब्याज नहीं देंगे और अथॉरिटी यह तर्क दे रही थी कि हमने बैंकों से लोन लेकर किसानों को पैसा दिया है, इसलिए ब्याज तो आवंटियों को ही देना पड़ेगा। फिलहाल अब पांच साल के बाद इस मामले में हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, जिसमें कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा कि करीब 6 हजार करोड़ रुपये के ब्याज का पैसा अथॉरिटी का इन बिल्डरों और संस्थानों पर बकाया है। जो अब बिल्डरों और संस्थाओं के द्वारा प्राधिकरण को देना होगा।
13 बिल्डर और 11 बड़े शिक्षण संस्थान का नाम शामिल
दरअसल इस मामले में यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने अथॉरिटी को बड़ी राहत दी है। उनका कहना है कि करीब 6 हजार करोड़ रुपये ब्याज का बकाया अथॉरिटी का संबंधित आवंटियों पर निकलता है। इनमें 13 बिल्डर हैं, 11 बड़े शिक्षण संस्थान हैं। इसके अलावा 70 छोटे शिक्षण संस्थान हैं। किस पर कितना बकाया बनता है इसके आंकलन के साथ सभी को आने वाले दो-चार दिन में नोटिस भेजा जाएगा। वही इस नोटिस में य़ह भी बताया जाएगा कि पहली किश्त में बकाया का 25 प्रतिशत लिया जाएगा। हालांकि आदेश के आते ही अथॉरिटी ने इन सभी संस्थानों के अथॉरिटी संबंधी कार्यों पर रोक लगा दी है। अब 25 प्रतिशत की किश्त आने के बाद ही इनके अथॉरिटी संबंधी काम हो पाएंगे। अब देखने वाली बात होगी कि ये बिल्डर और शिक्षण संस्थान कब तक यमुना प्राधिकरण के बकाया ब्याज की राशि जमा कराते हैं।
जबकि यीडा में कुल 13 बिल्डरों के प्रॉजेक्ट हैं, जिन पर इस ब्याज का 1358 करोड़ रुपये बकाया निकल रहा है। बिल्डरों के लिए यह आदेश खासी मुश्किलें बढ़ाने वाला माना जा रहा है। एक तरफ बिल्डरों को अमिताभ कांत पॉलिसी लागू कर अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए राहत दी गई है। वहीं, अब 64.7 फीसदी मुआवजे में ब्याज के बकाए की देनदारी बिल्डरों पर खासी भारी पड़ सकती है।
जिन संस्थाओ से यमुना प्राधिकरण को बकाया वसूल करना है उसमें प्रमुख इनका नाम शामिल
1. गलगोटिया (मै. शकुंतला एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी) : 225 करोड़
2. नोएडा इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी (मै. मारुति एजुकेशनल ट्रस्ट) : 345 करोड़3. जीएल बजाज : 124 करोड़
4. बाबू बनारसीदास: 116 करोड़
5. शांति एजुकेशन : 152 करोड़
6. त्यागी बिल्डर: 177 करोड़
7. चंद्रकला : 296 करोड़
8. जाइना : 114 करोड़
9. एसके कॉन्टेंट : 143 करोड़
10. इसके अलावा 72 अन्य छोटे-बड़े संस्थान हैं
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